शासकीय महाविद्यालय गुरूर में हिन्दी विभाग की स्थापना महाविद्यालय की स्थापना के सथ सन् 2007 में हुई। स्नातक स्तर पर (बी.ए., बी.एस.सी., बी.कॉम) के त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम में हिन्दी भाषा का अध्ययन-अध्यापन आधार पाठ्क्रम के रूप में किया जाता है। हिन्दी भाषा विषय के माध्यम से विद्यार्थीयों में भाषायी कौशलों का विकास करना, हिन्दी भाषा के प्रति रूची उत्पन्न कर हिन्दी भाषा को बढ़ावा देना, व्याकरण के सही प्रयोग को समझाना, हिन्दी भाषा का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व प्रदर्शित करना, सरकारी पत्रों का स्वरूप एवं महत्व से अवगत कराना, व्याकरण के विभिन्न पक्षों से अवगत कराना तथा कविता, कहानी, निबंध, नाटक एवं साहित्य के अन्य विधाओं के माध्यम से विद्यार्थियों को सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि की जानकारी प्रदान करना है। हिन्दी भाषा हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति, एवं संस्कारों की सच्ची संवहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। हिन्दी विषय के अंतर्गत विद्याथियों को हिन्दी की उत्पत्ति व भाषा के विकास को बताना और साथ ही उन्हें हिन्दी भाषा के व्याकरण से अवगत कराना है। हिन्दी भाषा विश्व की संभवतः वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में अधिकतर लोगों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। हिन्दी भाषा को मातृभाषा, राजभाषा, राष्ट्र भाषा, संचार भाषा एवं संपर्क भाषा के रूप में भी अपनाया जाता है। इसका कारण हिन्दी भाषा की सहजता, सरलता व प्रभावशीलता है ।
महाविद्यालय मे स्नातक स्तर पर कला संकाय के अंतर्गत हिन्दी साहित्य विषय का प्रारंभ सत्र् 2020-21 से हुआ है। इसे एक वैकल्पिक विषय के अंतर्गत प्रारंभ किया गया है। इसमें 40 सीट की स्वीकृति मिली है। हिन्दी साहित्य के अंतर्गत छात्र-छात्राओं को हिन्दी साहित्य के इतिहास से अवगत कराना तथा विभिन्न कालों की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, साहित्यिक पृष्ठभूमि की जानकारी प्रदान करना है। छात्र-छात्राओं को साहित्य के विभिन्न विधाओं की जानकारी प्रदान कर उनमें साहित्य के प्रति रूची उत्पन्न करना, साहित्य एवं सामाज के संबंध को प्रदर्शित करना, भाषायी कौशल का विकास करना, लेखन के प्रति अभिरूची उत्पन्न करना, लोक साहित्य से अवगत कराना, रचनाओं के माध्यम से तात्कालिन सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थिति से अवगत कराना है। साहित्य के अध्ययन से छात्रों में सामाज के प्रति उनके दृष्टिकोण को विस्तार प्रदान करना है। हिन्दी साहित्य विषय के अंतर्गत हिन्दी के विकास के विविध पहलुओं पर प्रकाश डालना तथा साहित्य के माध्यम से विद्यार्थियों को जीवन जीने की कला सिखाना है, साहित्य सामाज का दर्पण है और युग परिवर्तन की दिशा में साहित्य अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। महाविद्यालय में समय-समय पर साहित्य से संबंधित गतिविधि जैसे: - निबंध लेखन प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता, कविता पाठ, रंगोली प्रतियोगिता, भाषण, वाद-विवाद,प्रश्न मंच आदि का आयोजन किया जाता है जिससे विद्यार्थी साहित्य पढ़नेतथा लिखने की ओर प्रेरित हो सके। महाविद्यालय में राष्ट्रीय हिन्दी दिवस, अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी दिवस, बसंतपंचमी, विभिन्न साहित्यकारों की जयंती, अतिथिव्याख्यान आदि कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
विजन :-समाज के समग्र विकास में शिक्षा की अनिवार्यता को दृष्टिगत रखते हुए हिंदी के अध्यापन द्वारा संस्कार एवं मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करना । हिंदी विषय के प्रति छात्र छात्राओं में रूचि उत्पन्न करना तथा छात्र- छात्राओं की कारयित्री प्रतिभा को पहचान कर उनके गुणों को बढ़ावा देना।
मिशन :-
01 - शिक्षण हेतु सकारात्मक वातावरण ओर शैक्षिक संसाधन विकसित करना।
02 - छात्र-छात्राओं को पाठ्यक्रम के संबंध में उचित एवं नियमित मार्गदर्शन करना।
03 - छात्र-छात्राओं को भाषिक क्षमता विकसित करने हेतु प्रेरित करना ।
04 - छात्र-छात्राओं में अन्तर्निहित साहित्यिक रूचि एवं विविध रचनात्मक कौशलों को विकसित करना।
05 - हिंदी विषयक कार्यशाला एवं संगोष्ठियाँ आयोजित करना।
06 - विषय विशेषज्ञों के व्याख्यानों का आयोजन करना।
07 - छात्र-छात्राओं को पाठ्यक्रम की पुस्तकें तथा संदर्भ ग्रंथ उपलब्ध करना।
08 - रोजगार के अवसरों के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करना।
उद्देश्य (Objectiv) :-
01. अध्ययन शील वृत्ति परिमार्जित करना ।
02. संस्कार तथा नीति मूल्यों की शिक्षा के माध्यम से सक्षम बनने वाली पीढ़ी का निर्माण करना ।
03. अनुसाशन प्रिय व्यक्तित्व का निर्माण करना ।
04. छात्रों में एकता, सौहाद्र, सहिष्णुता, सहयोग, संवेदनशीलता, त्याग, समर्पण की भावना जैसे गुणों का विकास करना।
05. राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रति निष्ठा, प्रेम तथा जागरूकता का निर्माण करना ।